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Category: साहित्य

गुरुग्राम बन रहा है भारत की विंटेज कार राजधानी

गुरुग्राम: गुरुग्राम एक बार फिर अपनी पहचान भारत की विंटेज कार राजधानी के रूप में स्थापित करने जा रहा है। 21 गन सैल्यूट कॉनकोर्स डी’एलीगेंस

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एक्सप्लर्जर ने नई दिल्ली में की सोनू सूद के साथ नई एक्शन-थ्रिलर 'फ़तेह' की एक्सक्लूसिव रेड कार्पेट स्क्रीनिंग की मेजबानी

सोनू सूद की फिल्म ‘फतेह’ की रेड-कार्पेट स्क्रीनिंग पर ‘एक्सप्लर्जर’ ने रचा सितारों भरा जादू

जितिन भाटिया द्वारा स्थापित और बॉलीवुड स्टार सोनू सूद द्वारा सह-स्थापित, यात्रियों के लिए अभिनव सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्सप्लर्जर’ ने अपने उपयोगकर्ताओं को सोनू सूद

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चुनाव उपचुनाव में छाई भाजपा की महाराष्ट्र में प्रचंड जीत

चुनाव उपचुनाव में छाई भाजपा महाराष्ट्र में प्रचंड जीत नेता प्रतिपक्ष से भी चूकि महाविकास अघाडी चुनावी नातिजों ने विशेषकर महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों ने

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ग्रैप के तहत लागू प्रतिबंधों की पालना सुनिश्चित करना सभी के लिए जरूरी-निगमायुक्त

गुरुग्राम: नगर निगम गुरुग्राम के आयुक्त अशोक कुमार गर्ग ने कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप)

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खेलों में बजता है हरियाणा का डंका : कल्याण सिंह चौहान

पथरेड़ी, गुरुग्राम: शहीद मेमोरियल वॉलीबॉल टूर्नामेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल पथरेड़ी में करवाया गया। जिसमें बड़ी संख्या में खिलाड़ियों, खेल प्रेमियों और गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।

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कहानी : मुक्ति

‘खुशियां आयी घर-आंगन में जब तूने मुझसे जनम लिया निष्ठुर दुनिया के कारण ही हाय, मैंने तुझको मुक्त किया’ बैरक में आयी नयी बंदी कमला, रुंधे गले से इस गीत को बार-बार दुहराती और फिर उसकी चित्कार से पूरा कारागार

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लघु कथा: बलि

पता नहीं क्यों सब गड्ढमड्ढ सा हुआ जा रहा है। ‌वह एक राजनीतिक समारोह की कवरेज करने आया हुआ है। रोज़ का काम जो ठहरा पत्रकार का! रोज़ कुआं खोदो, रोज़ पानी पियो! रोज़‌‌ नयी खबर की तलाश। फिर भी

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कहानी: सरेआम

भई यह घर आपने बहुत ही सही लोकेशन  पर लिया है। इसकी बायीं ओर मार्केट, दायीं ओर मार्केट और बिल्कुल सीधे जाओ तो लोकल बस व ऑटो मिलने के लिए चौक! बहुत खुशकिस्मत हो आप! जब हमने मकान खरीदा तब

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कहानी : मुक्ति

‘खुशियां आयी घर-आंगन में जब तूने मुझसे जनम लिया निष्ठुर दुनिया के कारण ही हाय, मैंने तुझको मुक्त किया’ बैरक में आयी नयी बंदी कमला, रुंधे गले से इस गीत को बार-बार दुहराती और फिर उसकी चित्कार से पूरा कारागार

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लघु कथा: बलि

पता नहीं क्यों सब गड्ढमड्ढ सा हुआ जा रहा है। ‌वह एक राजनीतिक समारोह की कवरेज करने आया हुआ है। रोज़ का काम जो ठहरा पत्रकार का! रोज़ कुआं खोदो, रोज़ पानी पियो! रोज़‌‌ नयी खबर की तलाश। फिर भी

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लघु कथा: बलि

पता नहीं क्यों सब गड्ढमड्ढ सा हुआ जा रहा है। ‌वह एक राजनीतिक समारोह की कवरेज करने आया हुआ है। रोज़ का काम जो ठहरा

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